तपोनिष्ठ , शब्दतत्व व्याकरण ,कर्मकांड विशेषज्ञ श्रीमान आचार्य पूर्ण चन्द्र पाठक जी ने अपने स्थूल शरीर के बंधनों से मुक्त होकर इस पावन दिन माँ गंगा की गोद में तथा भगवान विष्णु के श्री चरणों में विलीन हुए हम गुरु जी को भाविनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
ब्राह्मण बीज को संरक्षित कर ब्राह्मणत्व को जगा देना, सारी धरित्री को गायत्रीमय कर देना ही परमपूज्य गुरुदेव की परम मोक्ष पुण्यतिथि पर उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है।”
गुरु जी आपके दी हुई शिक्षा, ज्ञान प्रेरणा सदा हमारे साथ रहेगी।
ओम शांति ओम
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हरिद्वार उत्तराखंड